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30th Foundation Day of Patanjali Sansthan: पांच क्रांतियों का संकल्प और भारतीय शिक्षा बोर्ड से 5 लाख स्कूलों को जोड़ने का लक्ष्य

30th Foundation Day of Patanjali Sansthan: पतंजलि संस्थान के 30वें स्थापना दिवस के मौके पर पतंजलि ने यह संकल्प लिया कि योग क्रांति के बाद पंच क्रांतियों का बिगुल फूंक दिया जाएगा। इस संकल्प का मुख्य उद्देश्य अगले पांच वर्षों में 5 लाख स्कूलों को भारतीय शिक्षा बोर्ड से जोड़ना है। सबसे पहले भारत में और फिर पूरे विश्व में नए शिक्षा प्रणाली का बिगुल फूका जाएगा, और भारत इसका नेतृत्व करेगा। बच्चों को केवल शब्दों के ज्ञान से नहीं, बल्कि विषय ज्ञान, आत्म-जागरूकता, भारतीय संस्कृति पर आधारित सही जागरूकता और गर्व से भी परिचित कराया जाएगा। अब तक पतंजलि 1 लाख करोड़ से अधिक का दान कर चुका है।

कार्यक्रम का आयोजन कहाँ हुआ और स्वामी रामदेव ने क्या कहा?

पतंजलि संस्थान का 30वां स्थापना दिवस पतंजलि वेलनेस, हरिद्वार के योग भवन सभागार में पतंजलि योगपीठ के परमाध्यक्ष स्वामी रामदेव और महासचिव आचार्य बालकृष्ण के नेतृत्व में आयोजित हुआ। इस कार्यक्रम में देशभर से आए पतंजलि योगपीठ संगठन के 6000 से अधिक प्रमुखों की उपस्थिति रही। स्वामी रामदेव ने कार्यक्रम में पिछले 30 वर्षों की सेवा, संघर्ष और साधना को साझा किया और पतंजलि योगपीठ के भविष्य के योजनाओं पर प्रकाश डाला। योग क्रांति की सफलता के बाद उन्होंने पांच क्रांतियों का ऐलान किया और कहा कि शिक्षा, चिकित्सा, आर्थिक, वैचारिक-सांस्कृतिक और बिमारी-दुख-लज्जा-निराशा से मुक्ति के लिए कार्य पतंजलि से शुरू होगा।

30th Foundation Day of Patanjali Sansthan: पांच क्रांतियों का संकल्प और भारतीय शिक्षा बोर्ड से 5 लाख स्कूलों को जोड़ने का लक्ष्य

पंच क्रांतियों का ऐलान

स्वामी रामदेव ने पांच क्रांतियों का ऐलान किया, जिनका लक्ष्य समाज में व्यापक परिवर्तन लाना है। ये क्रांतियां निम्नलिखित हैं:

  1. शिक्षा की मुक्ति
  2. चिकित्सा की मुक्ति
  3. आर्थिक मुक्ति
  4. वैचारिक और सांस्कृतिक मुक्ति
  5. नशा, बीमारी, सुख और वासना से मुक्ति

पहला क्रांति: शिक्षा की मुक्ति

स्वामी रामदेव ने कहा कि आज 50 से 90 प्रतिशत और कुछ स्थानों पर 99 प्रतिशत पढ़े-लिखे बेरोजगार, नशेड़ी, निरर्थक और सुस्त बच्चे तैयार हो चुके हैं, जिनकी बचपन, जवानी और हमारी परंपरा खतरे में हैं। हमने निर्णय लिया है कि हम सबसे पहले भारत में और फिर पूरी दुनिया में एक नया शिक्षा प्रणाली शुरू करेंगे और भारत इस क्रांति का नेतृत्व करेगा। पतंजलि गुरुकुलम, आचार्यकुलम, पतंजलि विश्वविद्यालय और भारतीय शिक्षा बोर्ड अब नए मानक स्थापित करेंगे। हमारा संकल्प है कि अगले पांच वर्षों में हम 5 लाख स्कूलों को भारतीय शिक्षा बोर्ड से जोड़ेंगे।

दूसरा क्रांति: चिकित्सा की मुक्ति

रामदेव ने कहा कि बीमारी हमारी प्रकृति नहीं है, योग हमारी प्रकृति है। आजकल लोग सिंथेटिक दवाओं, स्टेरॉयड्स, पेनकिलर्स आदि का सेवन करके अपनी शारीरिक स्थिति को नुकसान पहुँचा रहे हैं। चिकित्सा की मुक्ति के लिए हम पतंजलि वेलनेस, योगग्राम, निरामयम, अस्पतालों और स्वास्थ्य केंद्रों के माध्यम से आयुर्वेद और योग की धरोहर से आधुनिक शोध को जोड़कर काम कर रहे हैं। अब तक हमने 5000 से अधिक शोध प्रोटोकॉल और 500 से अधिक शोध पत्र विश्व स्तर के अंतरराष्ट्रीय जर्नल्स में प्रकाशित किए हैं। हमारा संकल्प है कि हम लोगों को बीमार होने से बचाएंगे और बीमार होने पर उन्हें योग और आयुर्वेद के माध्यम से मुक्ति देंगे।

तीसरा क्रांति: आर्थिक मुक्ति

स्वामी रामदेव ने कहा कि आज पूरी दुनिया में कुछ ही लोग पूरी अर्थव्यवस्था को अपने क्रूर पंजों में पकड़े हुए हैं। हमारा उद्देश्य सेवा के लिए समृद्धि और दान के लिए संपत्ति है। अब तक पतंजलि ने शिक्षा, स्वास्थ्य, शोध, चरित्र निर्माण और राष्ट्र निर्माण में 1 लाख करोड़ रुपये का दान किया है। यह सेवा कार्य 25 लाख से अधिक प्रशिक्षित योग शिक्षकों और 1 करोड़ से अधिक कार्यकर्ताओं की निःस्वार्थ सेवा से चल रहा है। हमारा संकल्प है कि स्वदेशी आंदोलन इतना बड़ा हो जाए कि भारत आर्थिक लूट, गुलामी और गरीबी से बाहर निकल सके।

चौथा क्रांति: वैचारिक और सांस्कृतिक मुक्ति

रामदेव ने कहा कि यह सही नहीं है कि वह भारत, जिसने दुनिया को संस्कृत के माध्यम से धर्म का संदेश दिया, वह वैचारिक और सांस्कृतिक गुलामी का शिकार हो जाए। आज भारत उन गरीब देशों पर निर्भर है, जिनके पास सिर्फ कुछ कागज के टुकड़े होते हैं। वास्तविक और सही संपत्ति केवल पैसा नहीं है, बल्कि अच्छा स्वास्थ्य, खुशहाल घर-परिवार, चरित्र, योगदान और दिव्य संपत्ति है। हमें भारत को वैचारिक और सांस्कृतिक गुलामी से मुक्त करना है। इसीलिए हम कहते हैं कि हमें सनातन धर्म, वेदधर्म, ऋषिधर्म, योगधर्म को युगधर्म के रूप में बढ़ावा देना है।

पाँचवां क्रांति: नशा, बीमारी, सुख और वासना से मुक्ति

रामदेव ने कहा कि आज पूरी दुनिया में नशे का खतरनाक खेल चल रहा है। भारत में लोग नशे, बीमारी और अश्लीलता की दलदल में फंसकर अपनी जिंदगी बर्बाद कर रहे हैं। हमारा संकल्प है कि हम नशा, बीमारी और अश्लीलता से मुक्ति दिलाएंगे। पतंजलि के 30 वर्षों के सफर के बाद हमारा संकल्प है कि हम पूरे विश्व को योग से परिपूर्ण करेंगे, चरित्र निर्माण करेंगे और आदर्श नागरिक बनाएंगे।

आचार्य बालकृष्ण का संबोधन

कार्यक्रम में आचार्य बालकृष्ण ने कहा कि स्वामी रामदेव की निरंतर कठोर प्रयासों के कारण आज पतंजलि का योगदान पूरी दुनिया को प्रेरित कर रहा है। पतंजलि ने लोगों को स्वास्थ्य देने के लिए धन से धर्म करने का अभियान शुरू किया है। पतंजलि का 100 प्रतिशत लाभ केवल धर्म कार्य के लिए है। पतंजलि के लिए भारत एक बाजार नहीं, बल्कि एक परिवार है। पतंजलि में 500 से अधिक विश्वस्तरीय वैज्ञानिकों की टीम काम कर रही है, जो शोध कर रही है और रोगों के अनुसार विश्व भर में रस, काढ़ा, टैबलेट, कैप्सूल, गेहूं घास, ऐलोवेरा, आंवला, नीम और गिलोय जैसे अनुसंधान आधारित औषधियां प्रदान कर रही है।

उन्होंने यह भी कहा कि पतंजलि ने भारत की प्राचीन ज्ञान परंपरा को आधुनिक विज्ञान का उपयोग करके जन-जन तक पहुंचाया है। आज पतंजलि ने योग को गुफाओं से निकालकर दुनिया के 200 देशों में लाखों लोगों तक पहुंचाया है।

पतंजलि संस्थान का 30वां स्थापना दिवस एक ऐतिहासिक मोड़ साबित हो सकता है। स्वामी रामदेव और आचार्य बालकृष्ण के नेतृत्व में पांच क्रांतियों का ऐलान और शिक्षा, चिकित्सा, आर्थिक, वैचारिक-सांस्कृतिक, और नशा मुक्ति के लिए पतंजलि द्वारा उठाए गए कदम समाज में एक बड़ा बदलाव ला सकते हैं। पतंजलि का यह संकल्प भारतीय संस्कृति, योग और आयुर्वेद को पूरी दुनिया में फैलाने का है, जिससे न केवल भारत, बल्कि पूरी दुनिया का भविष्य उज्जवल हो।

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